हैं नहीं ये आसान,
ये बड़ी मुश्किल हैं।
पथरो से भरी हैं।
काटो से गुजरती हैं।
सर पे तपती धुप हैं।
कोसो फ़ैली बंजर जमीन हैं।
ऐ मुसाफिर, पर याद रख,
सिर्फ सलाह नहीं ये रणनीति है।
हार कर ये सफर रोकना नहीं।
अपने इरादो की लाठी, टूटने देना नहीं।
के कठिनाइयों के रेगिस्तान के पार,
सफलता की ठंडी झील हैं।
ये जो राह तूने चुनी हैं,
माना हैं नहीं ये आसान,
ये बड़ी मुश्किल हैं।
पर होंसला बुलंद हो,
तो जीत तेरी तय हैं।
- तुषार दळवी १६-१२-१४ २:२७ am
